समाज में किसी व्यवस्था को स्थापित करना बहुत ज्यादा मुश्किल होता है लेकिन अगर कोई व्यवस्था स्थापित हो जाए और उसका समाज पर प्रतिकूल असर पड़ रहा हो तो उस व्यवस्था को खत्म करना दुष्कर एवं खतरनाक कार्य है। मानवी इतिहास में सामाजिक व्यवस्था के नाम पर आज तक पूरी दुनिया में जितनी भी व्यवस्थाएं स्थापित है तकरीबन सभी व्यवस्थाएं इस समाज के ऊपर एक प्रतिकूल प्रभाव डाल रही है। रंगभेद, नस्ल भेद, जातिवाद, पर्दा प्रथा, सती प्रथा और न जाने असंख्य कितनी प्रथाऐ एक सामाजिक व्यवस्था के नाम पर लोगों की जान के साथ खेलती रही हैं। खलील जिब्रान लेबनान में पैदा हुए वह लेखक थे जिन्होंने हर सामाजिक व्यवस्था जिसने हमारे मानवीय मूल्यों का सौदा किया है, के खिलाफ खुलकर आवाज उठाई। निसंदेह हर समाज के कुछ व्यवस्थाएं होती है कुछ नियम होते हैं कुछ कायदे होते हैं। इसमें भी कोई संदेह नहीं है कि एक समाज की सही परिभाषा समाज में रहने वाले हर व्यक्ति को समान अधिकार देने वाली भी होनी चाहिए। मनुष्य निसंदेह एक सामाजिक प्राणी है परंतु इसका अर्थ कदापि यह नहीं है कि वह चिंतनशील ना हो।
चिंतन शील व्यक्ति कभी भी विद्रोही हो सकता है और विद्रोही व्यक्ति को यह समाज जल्दी से स्वीकार नहीं करता है। खलील जिब्रान गहन चिंतन शील व्यक्ति रहे हैं इसलिए उनके लेखन के अंदर हमें एक विद्रोही स्वर हमेशा देखने को मिला है। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक द प्रोफेट अपने आप में जीवन के सभी मूल्यों का निचोड़ है। उस पुस्तक में मसीहा से पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में हर जवाब हमें जीवन के उन अर्थों को खोजने में सहायक सिद्ध होता है जिसकी तलाश हमें तमाम उम्र रहती है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के जीवन का उल्लेख है कि जब वह पढ़ाई करने के लिए शहर में जाना चाहते थे और उनकी माताजी उनके भविष्य के लिए अत्यंत चिंतित थी तो उनके पिता ने यह कहा था कि तुम चिंता मत करो यह बच्चे हमारे नहीं है बस हमारे माध्यम से पैदा हुए हैं अतः इन को आगे जाने दो यह भविष्य का संदेश लेकर के आए हुए हैं।
“ Children are not yours, indeed they come through yours. You are the past and they are the future. You are the bow and they are the arrow & they are destined to move ahead. Thus never try to make them like you; be like them.”
The Prophet
अगर हम गहराई से सोचें तो हम अपने बच्चों को अपने जैसा बना लेना चाहते हैं लेकिन खलील जिब्रान के मुताबिक बच्चा एक तीर की तरह होता है जिसका भविष्य हमेशा आगे जाना ही होता है इसलिए उन्होंने यह कहा कि कभी भी बच्चों को अपने जैसा मत बनाओ बल्कि बच्चों के जैसा बन जाओ लेकिन कितने मां बाप ऐसा करने में सफल होते हैं? 18वीं शताब्दी में उनके द्वारा कही गई बात आज 21वीं शताब्दी के अंदर भी माता-पिता सही मायने में अपने जीवन में अमल लाने से पहले हजार बार सोचते हैं तो आप समझ लीजिए खलील जिब्रान का स्वर कितना विद्रोही है।
खलील जिब्रान के लेखन ने लेबनान की खूबसूरत घाटियां और प्रकृति इत्यादि का विस्तृत वर्णन भी रहा है। उनके लेखन के अंदर प्रकृति के इतने खूबसूरत चित्रण के माध्यम से हम यह ज्ञात भी कर सकते हैं कि खलील जिब्रान स्वाभाविक रूप से प्रकृति प्रेमी रहे है। अगर हम गौर से देखें तो कई कई जगह उन्होंने एक ऐसा पैराडॉक्स पैदा कर दिया है कि एक तरफ तो वह लेबनान की खूबसूरत प्रकृति का जिक्र कर रहे हैं और दूसरी तरफ लेबनान के शहरों के अंदर होते हुए सामाजिक मूल्यों का हनन उनके चित्रण में आता है। उनके द्वारा लिखित पुस्तक द ब्रोकन विंग के अंदर यह नजारा बड़ा आम है।
“The gardens were full of Nisan flowers and the earth was carpeted with green grass, and like a secret of earth revealed to Heaven. The orange trees and apple trees, looking like houris or brides sent by nature to inspire poets and excite the imagination, were wearing white garments of perfumed blossoms.”
The Broken Wing
खलील जिब्रान के द्वारा लिखित द मैडमैन एक ऐसी पुस्तक है जिसमे उनका स्वर बड़ा ही सटीक एवं स्पष्ट है। कहीं ना कहीं यह सत्य है कि जिस भी व्यक्ति की बात को हम समझ नहीं पाए हैं हमने उसे पागल करार दे दिया है खलील जिब्रान ने भी स्पष्ट किया है कि जब भी कोई हमें समझने की कोशिश करता है तो हमें अपना गुलाम बना लेता है इसलिए लोग मुझे समझ नहीं पाते और इसी के अंदर मेरी सुरक्षा है। द मैडमैन छोटी कहानियो का एक ऐसा संकलन है जो हमारी सड़ी गली व्यवस्था पर करारा प्रहार करती है ।
“I have found both freedom and safety in my madness; the freedom of loneliness and the safety from being understood, for those who understand us enslave something in us.”
The Madman
यहां यह प्रश्न खड़ा होता है कि जब वह चाहते ही नहीं है कि कोई उनकी बात को समझे तो उन्होंने इतना ज्यादा साहित्य किसके लिए लिखा है। सही मायने में लेखक वही है जो अपने हृदय की बात और अपने विचारों को जाहिर करने की क्षमता रख सकता है एक लेखक वह नहीं जो लोगों की धारणा के हिसाब से लिखे बल्कि लेखक तो वह होता है कि उसकी अंतर्मन के अंदर जो भी विचार पैदा हो रहे हैं वह उन्हें शब्दों के माध्यम से पुस्तक में उतार दें । उनके लेखन में एक अन्य जगत की झलक हमें नजर आती है उन्होंने अपने एक कथन में कहा था कि जीवन और मृत्यु एक है जिस तरीके से नदी और समुद्र एक हैं इन दोनों को अलग अलग नहीं किया जा सकता इतनी गहरी बात वही आदमी कह सकता है जिसने अपने जीवन काल में एक अलग धुरी को एक अलग दुनिया को जान लिया हो ।
अपने समस्त पूर्वाग्रह को दूर करके जीवन को एक नए नजर से समझने के लिए जो व्यक्ति तैयार है वह खलील जिब्रान को पढ़ने के लिए तैयार है खलील जिब्रान की कोशिश है कि कोई उसे समझने की कोशिश ना करें बल्कि उसे जानने की कोशिश करें ।
very well understood by the author, there r very few ppl who understand beyond the lines.