यह मेरा किसी भी तरह का पहला लेख है। कलम ने आज अचानक चलना शुरू नहीं किया है, यह कलम चल पड़ती है कुछ आंतरिक उद्वेलनाओ पर, कुछ असामाजिक ताने-बानो पर, और चंद पंक्तियां लिख कर बस मेरे मन को सुकून मिल जाता है।
मेरा पहला लेख चिंतनशील, प्रगतिशील व परिवर्तनशील विचारों के लिए एक नई सोच, एक नई विचारधारा में एक नया विषय साबित होगा। सबका अपना एक देश है और सबको अपना देश जी जान से प्यारा है। मेरा देश भारत, भारतवर्ष, हिंदुस्तान, इंडिया और अब यंगिस्तान।
अब यंगिस्तान क्यों?
क्योंकि आज हमारे देश की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा युवा है, नौजवान है और ऊर्जावान है। देश तो युवा है पर हमारा युवा कहां है? हमारे युवा की दशा और दिशा क्या है? किसी भी देश, किसी भी समाज के युवा का काम होता है देश व समाज को अपने पुरुषार्थ से नई दिशा दिखाना, उसे नहीं राह और एक ऐसी ऊंचाई पर ले जाना – जहां हर देश व समाज को अपने पर गर्व हो।
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लेकिन इस यंगिस्तान का युवा उच्च शिक्षित और उच्च प्रशिक्षित होने के बावजूद भी – संस्कारों के अभाव से, व्यवस्था के लचर चलन की वजह से और न जाने कितनी और वजहों से हर समय लाइनों में रहता है।
कोई दाखिले की लाइनों में, कोई फार्म की लाइन में, कोई नौकरी की लाइन में, कोई भत्ते की लाइन में, कुछ छात्र वृत्ति की लाइन में, कोई जीत की लाइन में, कोई हार की तो कोई रेल की लाइन में रहता है। न जाने ऐसी कितनी ही लाइन और है, जो मेरी इन लाइनों में भी नहीं है।
आज किसी युवा को देश और समाज की दशा, दिशा से कोई सरोकार नहीं है। अगर कोई युवा देश व समाज के लिए सोचता है और उस दिशा में चल रहा है तो ऐसे युवाओं की गिनती अंगुलियों पर ही की जा सकती हैं। यंगिस्तान के हर युवा की आंखों में जाने कहां से यह ख्वाब पैदा हो गया कि, “पहले अच्छी नौकरी, फिर शादी, फिर बच्चे और अपना अलग संसार” – और जो कुछ भी करना है, फिर इसी संसार के लिए करना है।
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मौज मस्ती से भरे उसके अपने संसार में देश और समाज के लिए कोई जगह नहीं है। इन सब के लिए हिंदुस्तान के युवा के पास समय नहीं है। किसी भी युवा की ऊर्जा, उसकी शक्ति किसी व्यक्ति विशेष तक सीमित नहीं होती। उसकी ऊर्जा, शक्ति व क्षमता देश की निधि है जहाँ वह स्वच्छंद व उन्मुक्त भाव से विचरण करता है।
इसलिए युवाओं को चाहिए कि अपने सपनों के संसार के अलावा जो वास्तविक संसार में समाज है, उसकी ओर देखें उसके उत्थान के बारे में विचार करें। अपने विचारों को अमलीजामा पहनाने के लिए एक अदद कोशिश करें क्योंकि इस अमलीजामा में कोई देश, समाज कितना सुंदर व मनोहर दिखेगा इसकी तो कल्पना मात्र से ही मन प्रसन्न हो जाता है। एक युवा को सोचना चाहिए कि सपनों के संसार से पहले समाज और देशहित है। देशहित में समाज का उत्थान इतना आसान व सरल कार्य नहीं है खासकर आज के माहौल में।
आज के समाज में न राष्ट्रवाद है, न आपसी भाईचारा है, और न आपसी सहयोग और प्रेम है। ऐसे माहौल में देश हित की बात बड़ी दुष्कर है और जब समस्याएं विकराल रूप धारण कर लेती है तब उन समस्याओं से निजात पाने के लिए कठोर कदम, कठोर निर्णय करने होते हैं जिनमें समाज हित और राष्ट्रहित निहित होता है।
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क्योंकि अपनी-अपनी खुशियों ने हमें आज इतना खुदगर्ज व स्वार्थी बना दिया है कि हमें अपने से दूसरे की कोई चिंता नहीं है। इस सांसारिक बंधनों में बंधे युवा व्यक्ति समाज में देश को सर्वोपरि नहीं मान सकते।
क्योंकि उसकी कुछ सामाजिक जिम्मेदारियां हैं जिनसे हमारा सामाजिक ताना-बाना बुना हुआ है। पारिवारिक बंधनों से मुक्त युवाओं ने जो इस देश और समाज को दिया है, जो इस समाज के लिए किया है वह अपने आप में स्मरणीय व अद्भुत है। इस यंगिस्तान की दशा व दिशा सुधारने के लिए जो कठोर कदम उठाना है वह कदम है।
एक युवा देश का एक युवा घर का।
ऐसे युवा की पूरी उर्जा, पूरी क्षमता देश की सेवा में काम आती है। ऐसे युवाओं का मन व मस्तिष्क हर पल, हर क्षण देश हित के बारे में ही सोचता रहता है। कुछ ऐसे युवाओं की छोटी सी सूची तैयार की है जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट करते हुए देश व समाज हित को सर्वोपरि रखते हुए अद्भुत कार्यो को अंजाम दिया है।
युगपुरुष स्वामी विवेकानंद, शहीदे आजम सरदार भगत सिंह, भारत के पूर्व राष्ट्रपति, महान वैज्ञानिक, विचारक डॉ एपीजे अब्दुल कलाम, आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती, शहीद राजगुरु, शहीद सुखदेव, शहीद खुदीराम बोस, शहीद रामप्रसाद बिस्मिल।
टाटा उद्योग के रतन टाटा, महान वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जे भाभा, महान इंजीनियर विश्वेश्वरैया, प्रसिद्ध समाजसेवी अन्ना हजारे, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई, विश्व सुंदरी सुष्मिता सेन, योग गुरु रामदेव, राम मनोहर लोहिया, स्वर सामग्री लता मंगेशकर, अभिनेत्री, राज नेत्री श्रीमती जय ललिता, हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर।
बंगाल की आर्यन लेडी श्रीमती ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, सुमित्रानंदन पंत, श्री श्री रविशंकर, साहिर लुधियानवी, किरण देसाई, अभिनेता संजीव कुमार।
आज हमारा समाज व देश कुछ ऐसे ही हालात में है कि हमारे हर युवा को कठोर फैसला लेना होगा और इस फैसले में उसके परिवार समाज का अहम योगदान होगा आज अगर यह कठोर फैसला नहीं लिया गया तो आज जो अलग-अलग संसार हमने बनाए हैं वह सुरक्षित और सुखी नहीं रह पाएंगे।
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Every human being can contribute for the same in different ways….inspiring and motivating sir….keep it up
Very thoughtful for the youth of the India.. keep inspiring sir…….. Keep it up.
Good job… Dear…. It is you first editorial…. It seems you are Written…. Since…. Long time… In this….. You.. Done fabulous… Great… Job……….
Dear… Continue.. With nice thoughts.. You are doing well.. ? ?Hope ..meet you soon… Again on this page… ? ?
Sir…. one youth for home and other for the nation?
Who will decide it… youth itself, society or parents?
Married people can also do great for the nation?
Are you doubted on that sir?