बलात्कार, व्यक्ति के मन और शरीर पर लगा एक ऐसा दाग है जिसे वो चाह कर भी पूरी उम्र मिटा नही पाता। ये एक ऐसा रोग है जिससे कोई भी व्यक्ति, ना ही आदमी और ना ही औरत, ग्रसित होना चाहेगा।
न तो कोई भी व्यक्ति ये चाहेगा कि उसका कभी भी बलात्कार हो और न ही वो ये चाहेगा कि वो बलात्कारी के नाम से मशहूर हो। फिर भी बलात्कार करने वालों की संख्या बेहिसाब है।
रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार पूरी दुनिया की 35% महिलाएं कभी ना कभी यौन उत्पीड़न का शिकार होती हैं।
बलात्कार की दर हर पिछले साल की तुलना में बढ़ रही है।
Bureau of Justice Statistics के आंकड़ों के अनुसार।
- South African Medical Research council द्वारा किये गए सर्वे के अनुसार 4 में से 1 व्यक्ति ने बलात्कार करने की बात को स्वीकार किया।
- साउथ अफ्रीका एक ऐसा देश है जिसमें बच्चियों और शिशुओं के बलात्कार बहुतायत में होते हैं। The Tears Foundation और MRC के अनुसार साउथ अफ्रीका के 50% बच्चे 18 साल की उम्र से पहले ही यौन उत्पीड़न, यौन हिंसा या बलात्कार का शिकार हो जाते हैं।
- अगर इंटरनेट की दुनिया में खोजा जाए तो South Africa, Sweden, USA, England and Wales, India, New Zealand, Canada, Australia, Zimbabwe, Denmark and Finland – ये वो देश हैं जो बलात्कार के मामले में टॉप 10 पर हैं। लेकिन कुछ ऐसे देश हैं जिनका नाम तक भी आपको किसी भी सूची में नही मिलेगा। खासतौर पर चीन, उत्तरी कोरिया जैसे कई अन्य देश।
क्या इन देशों में कभी कोई बलात्कार नही होते या फिर जान-बूझकर आंकड़े छुपाये जाते हैं ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अच्छी छवि बनाई जा सके? कुछ देशों का मानना है कि आंकड़े ज्यादा उजागर होने से ऐसी वारदातें और बढ़ जाती हैं। अगर ऐसा है तो क्या छुपाने से वारदातें कम हो जाती हैं? ये पहेली तो कोई विशेषज्ञ ही सुलझा सकते हैं।
इंटरनेट पर छाए इन टॉप 10 देशों के बीच में भी एक लंबी फेहरिस्त है जिनमें बलात्कार की दर बहुत ज्यादा है। जैसे: बोत्सवाना 92.9, लेसोथो 82.7, स्वाज़ीलैंड 77.5, बरमूडा 67.3.
स्वीडन 63.50, मिस्र 0.10।
मिस्र में बलात्कार न के बराबर है।
ये एक ऐसा देश है जो अपने देश में बढ़ती हुई बलात्कार की दर के मामले में , बलात्कार के बदले हुए कानून को जिम्मेदार ठहराता है। जिसमें यौन हिंसा, यौन उत्पीड़न जैसी Term भी बलात्कार में ही शामिल है। ऑस्ट्रेलिया 28.60, बेल्जियम 27.90, यू.एस. 27.3, न्यूजीलैंड 25.80, रूस 3.40, इंडिया 1.80 जापान 1.00v
हर 73 सेकंड में एक अमेरिकन यौन उत्पीड़न का शिकार होता है।
RAINN (रिसर्च एजेंसी) के National Crime Victimization Survey के अनुसार
- यू. एस. में हर 6 में से 1 महिला और हर 10 में से 1 आदमी बलात्कार का शिकार होता है। महिलाओं में ज़्यादातर 16 से 19 उम्र की लड़कियां निशाना बनती हैं। बलात्कार करने वाले इन सभी लोगों में से 97% लोग छूट जाते हैं, उन्हें कोई सज़ा नही होती। हैरानी की बात ये है कि बलात्कार करने वाले 70% लोग, घर-परिवार, रिश्तेदार, सहकर्मी या दोस्त होते हैं।
- एक साल में तकरीबन 5900 अमेरिकन इंडियन लोग या तो यौन हिंसा या बलात्कार का शिकार होते हैं।
- NCRB की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर 15 मिनट में बलात्कार की एक रिपोर्ट लिखी जाती है।
- एनसीआरबी की 2018 की रिपोर्ट के अनुसार भारत के छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश वो राज्य है जहां बलात्कार की घटनाएं सबसे अधिक होती है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश वो राज्य हैं जो इस मामले में टॉप 3 पर है।
- अगर सभी राज्यों की तुलना की जाए तो उत्तर प्रदेश 6 साल से भी कम उम्र की बच्चियों का बलात्कार करने में सबसे ऊपर है। विडंबना यह भी है कि केरल, 60 साल से भी ऊपर की महिलाओं का बलात्कार करने में नम्बर एक पर है।
बलात्कार की रिपोर्ट लिखा जाना भी अपने आप में एक कथा है। कई तरह की पेचीदगियों से निकलने के बाद ही एक रिपोर्ट लिखी जाती है। इसके अलावा एक रिपोर्ट का लिखा जाना, उस स्थान की कानूनी, आर्थिक, सेक्स शिक्षा, लिंग अनुपात, सामाजिक और महिलाओं की जागरूकता पर निर्भर करता है।
- भारत में एक लाख की जनसंख्या पर औसतन 3% बलात्कार के केस रिपोर्ट किए जाते हैं। सभी राज्यों की भौगोलिक विविधता के कारण, मामले घटित होने और रिपोर्ट होने वाली संख्या बहुत ही अलग है। सिक्किम और दिल्ली में 30.3% और 22.5% बलात्कार के केस रिपोर्ट किये गए जबकि तमिलनाडू में ये प्रतिशत एक से भी कम है।
- बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यों में 0.5% घटनाओं को रिपोर्ट किया जाता है। इन क्षेत्रों में महिलाओं की साक्षरता दर बहुत ही कम है। हालांकि तमिलनाडु और कर्नाटक में भी रिपोर्ट की दर कम है जबकि महिलाओं की साक्षरता दर उच्च स्तर की है।
इन सभी राज्यों में से राजस्थान, हरियाणा, जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में एक राहत का कार्य ये हुआ है कि 12 साल से कम उम्र की लड़कियों का बलात्कार होने पर मुज़रिम को फांसी की सजा दिए जाने का प्रावधान है।
Susan Brownmiller जो कि एक अमेरिकन पत्रकार थी उन्होंने अपनी पुस्तक “Against Our Will: Men, Women, and Rape” (1975) में बताया कि बलात्कार करके एक व्यक्ति, औरत को हमेशा डर की स्थिति में रखना चाहता है ताकि वो हमेशा औरत को अपने पैर की जूती समझे और अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर सके।
“It is a game of power and dominance”
इतिहास गवाह है कि शासकों ने युद्ध को जीतने के बाद भी विरोधियों की महिलाओं के बलात्कार करवाये ताकि अपना शक्ति प्रदर्शन कर सकें।
मेरा मानना है कि बलात्कार करके जमीन इख़्तियार की जा सकती है, लोगों के दिल नहीं। डर के कारण किया गया सम्मान एक घृणित प्रक्रिया है।
ये कौन सी पॉवर है जो हम बलात्कार करके हासिल करना चाहते हैं? हमें महिलाओं से किस बात का खतरा है जो हम उन्हें डराना चाहते हैं?
कुछ ऐसे देश हैं जो पोर्न के जरिये अरबों रुपये कमाते है। यू.एस., नीदरलैंड, यू.के, जर्मनी इसी सूची में शामिल है।
- क्या पोर्न बलात्कार के बढ़ने की वज़ह है? जवाब है नही, क्योंकि इन देशों के ऊपर एक लंबी सूची है जहां ये घटनाएं अपने चरम पर हैं।
- तो क्या औरतों का कम पढ़ा -लिखा होना इसका एक कारण है?
- क्या अलग-अलग संस्कृति इसके पीछे की वजह है?
- क्या लिंग अनुपात में फर्क होना कारण है?
- ना जाने हम कितनी ही वजहें इस घटना के पीछे का कारण घोषित कर देते हैं। पर क्या हम असली वजह तक कभी पहुंच पाते हैं?
क्या आपने कभी सुना है कि औरतों ने मिल कर एक आदमी का गैंग रेप किया? अगर आपने सुना भी हो तो उसका प्रतिशत बहुत ही कम होगा। क्या औरतों को कभी पुरुषों से आकर्षण नही होता? अगर होता है तो क्या एक स्थिति में वो उनका बलात्कार करने के बारे में सोचती है….. उत्तर होगा, नहीं।
लेकिन क्यों नहीं, क्या उनके सेक्स संबंधी हॉर्मोन एस्ट्रोजन, प्रोजेस्टेरोन और टेस्टोस्टेरोन (Estrogen, progesterone, and testosterone) का स्राव कम हो गया है या ये हॉर्मोन्स सदियों से ही शक्तिविहीन हैं?
औरतें ही औरतों की दुश्मन है। इस तथ्य में कोई दो रॉय नही। आप सभी ने कभी न कभी किसी औरत के मुंह से ये जरूर सुना होगा: “देखो, इस लड़की ने कैसे कपड़े पहने हैं, शर्म भी नही आती। जिस तरह से वो किसी के अंगों का व्याख्यान करके कपडों का महिमा मंडन करती हैं, अगर कोई थोड़ा वक्त दे उन्हें, तो शायद दो-तीन किताबें लिख दी जाये।
जाने-अनजाने ही सही, वो अपने परिवार वालों को पहले ही ये बता देती हैं कि किसी लड़की के ये सभी अंग, कपडों के डिज़ाइन देखने के लिए बने हैं। हादसा तो आपके साथ तब होता है जब उस घटना से पूर्व आपको इस गूढ़ ज्ञान का अनुभव ही नहीं हो।
ये माना जाता है कि महिलाएं कम जागरूक है, तो हम ये क्यों नही मानते कि आदमी तो जागरूक है ही नही क्योंकि बलात्कारी तो वही है। औरत, बच्चियां और शिशु तो केवल उसका शिकार है। वो औरत को एक इंसान छोड़कर बाकि सब कुछ समझता है जैसे पशु, अपनी प्रोपर्टी, दासी, मनोरंजन का एक साधन।
“औरत से ज्यादा पाप से परिपूर्ण प्राणी इस धरती पर है ही नही।
महाभारत, किताब संख्या 13, सेक्शन 40 में बताया गया है
तो क्या हमें महाभारत से शिक्षा लेनी चाहिए?
ढोल, गंवार , शूद्र ,पशु ,नारी सकल ताड़ना के अधिकारी
गोस्वामी तुलसीदास
तो क्या हमें मनुस्मृति से शिक्षा लेनी चाहिए?
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।।
पुराने वेदों और ग्रन्थों में स्त्री को लेकर क्या लिखा है इन्ही बातों में उलझे रहे तो हमसे आज की समस्या का समाधान नही हो पाएगा। कोई भी व्यक्ति अपने समय और सामाजिक स्थिति के मुताबिक ही लिखता है। उस समय क्या स्थिति रही होगी इसका केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है।
हम सभी कारणों को अपनी चर्चा का विषय बना लेते हैं। बस जिन दो लोगों के बीच ये घटना हो रही है, उन दोनों का समाज में रहते हुए आपसी सम्बन्ध कैसा है, उसका जिक्र तक करना हम भूल जाते हैं। वह है एक आदमी और औरत का एक दूसरे के प्रति रवैया।
- क्या कभी एक पति को ये कहा गया है कि उसे अपनी पत्नी को पीटने का अधिकार नही है?
- क्या कभी ये कहा गया है कि अपने बाहर के वातावरण का गुस्सा, जलन-कुढ़न या अपनी कमियों की लाचारगी अपनी पत्नी पर उतारने का अधिकार नहीं है?
- क्या कभी एक सास, ससुर, देवर,जेठ, ननद, पति को ये समझाया गया है कि उन्हें अपनी बहू पर अत्याचार करने का अधिकार नहीं है?
- क्या कभी छोटे भाई को ये बताया गया है कि अपनी बड़ी बहन को पीटना उसके अधिकारों में नहीं है।
बस यही विडंबना है कि एक औरत पर सबका अधिकार है यहाँ तक कि एक राहगीर का भी, सिवाय स्वयं उस औरत के।
जहाँ तक मैं जानती हूँ ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता कि एक औरत को ज़लील करना, उस पर चिल्लाना, उसे मारना-पीटना या किसी भी तरह की मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना देना उनके अधिकार क्षेत्र में नही है।
लेकिन लोगों ने एक औरत पर इस तरह के जबरदस्ती के अधिकार जता कर, इन सब घटनाओं को बिल्कुल सामान्य बना दिया है। एक औरत के ना चाहते हुए भी समाज में एक ऐसे वातावरण का निर्माण हो चुका है जिसमें इस तरह की घटनाओं का न ही तो कोई जिक्र होता है और अगर गलती से मुद्दा उठ भी गया हो तो इसमें कुछ भी अजब-गजब या असामान्य नही है , कह कर टाल दिया जाता है।
पर क्या कभी इस बात को समझा गया है कि ये क्यों असामान्य नही है?
ये हम सब जानते हैं कि एक बच्चा अपने घर के वातावरण में जो देखता है, ज्यादातर वही सीखता है। अगर वो अपनी माँ को हर रोज़ पिटते हुए देखेगा तो ये न चाहते हुए भी कहीं न कहीं उसकी प्रवृत्ति में शामिल हो जाएगा। थोड़े दिनों बाद ये उसे सामान्य लगेगा और उसकी आदत में शामिल हो जाएगा।
उस बच्चे को ये अनुभव कभी भी नही होगा कि उसकी माँ के साथ कुछ गलत हो रहा है। बड़े होने के बाद उस बच्चे द्वारा अपनी बहन और पत्नी को पीटना अनजाने में ही उसके अधिकारों में शामिल हो जाएगा। धीरे- धीरे समाज की अन्य लड़कियों के साथ भी उसके व्यवहार में कोई खास परिवर्तन नही आ पाएगा। उस बच्चे को यह कभी पता भी नही चलेगा कि वो ये सब कहाँ से सीखा। किसी भी हालत में स्त्रियों का सम्मान ना करना ही बलात्कार करने और होने की वजह बनता है।
अब परिस्थिति ये है कि जब चारों तरफ के वातावरण में एक औरत को सम्मान ही नहीं दिया जा रहा, तो ये साफ है कि कोई भी व्यक्ति उसकी इज्ज़त को तार-तार करने से पहले क्यों सोचेगा? अगर एक औरत को खुद उसके घर में, समाज में, दफ़्तर में इसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति को सहन करना पड़ रहा हो, दबाव चाहे कोई भी हो, तो उसके बलात्कार को कोई नही रोक सकता।
जिस तरह इस समाज में एक आदमी को सम्मान का दर्जा दिया जाता है (बेटा पैदा होना गर्व की बात) अगर उसी तरह एक औरत को भी उसी सम्मान भरी नजरों से देखा जाता तो आज “भ्रूण हत्या रोको” , “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” जैसे जागरूकता अभियानों की जरूरत नही पड़ती।
अब सवाल ये है कि जिस व्यक्तित्व का किसी भी स्तर पर अपना कोई अस्तित्व ही नही है, तो उसका बलात्कार होने से कैसे रोका जाए।
हर माँ-बाप अपने बच्चों की जिंदगी में नैतिक मूल्यों को पिरोने का संकल्प ले। हर पति -पत्नी अपने रिश्ते सुधारे। हर इंसान दूसरे की भावनाओं की कद्र करना सीख जाए तो समाज की इस दुर्दशा को रोका जा सकता है।
कोई भी व्यक्ति बचपन से ही बलात्कारी नही होता। ये ट्रेनिंग वो धीरे धीरे लेता है। शुरुआती स्तर पर व्यक्ति अपनी शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति के लिए एक ऐसी कमजोर कड़ी को ढूंढ़ता है जो उसके इस कृत्य का पर्दाफाश ना कर पाए। जैसे घर-परिवार, आस-पड़ोस की कम उम्र की लड़कियां या खासतौर पर बच्चे। जिनको बहला-फुसला कर या डरा-धमका कर वो अपनी कामोतेजना को शांत कर सके।
क्योंकि पहली बार ये काम करने में व्यक्ति स्वयं भी डरा हुआ होता है। इसीलिए इस घिनौने काम को अंजाम देने के लिए वो सही समय, स्थान और मौके की तलाश में रहता है। बच्चे इस कुकृत्य के लिए सबसे अरक्षित लक्ष्य (Soft Target) है। बहरहाल अगर कोई बच्चा जागरूक है और विरोध करने की कोशिश करे तो उसे डरा कर या शारीरिक बलबूते पर चुप कराया जा सकता है और अगर बच्चा सजग नही है तो वो इसे प्यार करने का ही एक तरीका समझेगा।
अगर व्यक्ति इस स्तर पर पकड़ा नही जाता है तो ये उसके लिए लहू मुँह लगने के माफ़िक काम करता है।
एक तरफ तो वो अपने डर पर काबू पा लेता है और दूसरी तरफ उसकी हिम्मत इस काम को दोबारा करने के लिए और बढ़ जाती है। दोबारा व्यक्ति अपनी कामुक इच्छाओं को शांत करने के लिए अलग-अलग समय, स्थान, मौके, बच्चे और लड़कियां ढूढ़ता है।
समय बीतने के साथ ये घिनौना कृत्य उसके लिए आम हो जाता है और व्यक्ति को इसमें कुछ भी गलत लगना या डर लगना बंद हो जाता है क्योंकि उसके अनुसार वो अपनी जरूरतों को पूरा कर रहा होता है। इस तरह की भयावह मानसिक स्थिति उसे बलात्कारी बना देती है।
कहने को तो हमने व्यक्ति की मानसिक स्थिति, क्रोध, ईर्ष्या, चिड़चिड़ापन, साथियों की संगत, नशे की लत, नौकरी या रोजगार न मिलना, सत्ता का नशा, पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण, पोर्न वेबसाइट को देख कर मन उतेजित होना, लड़कियों के छोटे कपड़े, अंग प्रदर्शन, सेक्स की आसानी से उपलब्धता, रात को लड़कियों का पब में जाना। खासतौर पर स्वयं पर नियंत्रण न रहना, जैसी ना जाने कितनी ही दलीलों को बलात्कारी के पक्ष में रख दिया है।
पर क्या यह सत्य है?
हैरानी की बात है कि बलात्कार करने वाले व्यक्ति की शारीरिक इच्छायें, कामुकता और वहशीपन जैसी दरिंदगी अपनी सगी माँ और बहन के सामने नतमस्तक रहती हैं हालांकि (अंग) सामान तो उनके पास भी वही है। लेकिन जैसे ही वो अपने खून के रिश्तों से बाहर झांकता है उसके अंदर का दरिंदा बलात्कार करने के लिए उतावला हो जाता है। ये यक्ष प्रश्न है कि कैसे अपने खून के रिश्तों के समक्ष वो अपनी इच्छाओं का दमन कर पाता है?
अगर कोई व्यक्ति किसी भी ऐसी एक स्थिति में अपनी माँ और बहन के सामने अपने मनचले विचारों को काबू कर सकता है तो वो अपना ये शक्ति प्रदर्शन कहीं भी कर सकता है। स्वयं की इच्छाओं पर काबू पाना ही असली शक्ति है।
असली पावर वो भी है जो आपके संसार छोड़ने के बाद भी कायम रहती है जैसे महात्मा बुद्ध, महावीर स्वामी, गुरु नानक, कबीर, तुलसीदास, गोरखनाथ।
एक आश्चर्य की बात ये है कि ये एक ऐसी विचित्र बीमारी है जिससे ग्रसित तो आदमी है और उपचार करने के तरीके औरत को सुझाये जाते हैं। ये बहुत खतरनाक है कि बलात्कार आदमी कर रहा है, समझाया औरत को जा रहा है।
इस गुनाह में स्त्री और पुरुष दोनों शामिल हैं। जब तक स्त्री मुखर होकर जुल्म सहना बंद नही करेगी। जब तक अपनी आवाज़ बुलंद नही करेगी। तब तक इस दरिद्रता से छुटकारा मिलना मुश्किल है। जब तक एक पुरूष स्त्री को सम्मान की दृष्टि से नही देखेगा, तब तक ये गुनाह रुकना मुश्किल है।
किसी का बलात्कार करना एक मानसिक विकार है। जिसका इलाज केवल आपके ही पास है। ये पूर्णतया आप पर निर्भर है कि आपको बलात्कारी बनना है या नही।
अपने विचारों के दिवालियेपन की दरारों को बलात्कार करके भरने की कोशिश ना कीजिए। अपने अंदर की ईमानदारी की जमीन को खोजिए और बुद्धिमता से उसका सही दिशा निर्धारण कीजिए। अपने अंदर के सकारात्मक व्यक्ति को जगाइये। जीवन की सार्थकता एक शानदार व जानदार मनुष्य बनने में है वह केवल तभी संभव है, जब तक उसमें प्यार है।
जो लोग अपनी उम्र के एक पड़ाव की हद तक ठरकी हो चुके हैं उनका दिशा निर्धारण बहुत ही कठिन है लेकिन स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी और समाज सेवी संस्थाओं द्वारा इस तरह के कैंप चलाकर भावी पीढ़ी को बलात्कारी होने से बचाया जा सकता है। साइंस और टेक्नोलॉजी के इस युग में बच्चों को एक उम्र तक ही मोबाइल और इंटरनेट से दूर रखा जा सकता है। लेकिन सही और गलत के अंतर की शिक्षा देकर उन्हें हमेशा एक अच्छा नागरिक बनने में मदद की जा सकती है।
हर माँ-बाप अपने बच्चों की जिंदगी में नैतिक मूल्यों को पिरोने का संकल्प ले। हर पति -पत्नी अपने रिश्ते सुधारे।हर इंसान दूसरे की भावनाओं की कद्र करना सीख जाए तो समाज की इस दुर्दशा को रोका जा सकता है।
बलात्कार जैसे अमानवीय कृत्यों को केवल मानवीय मूल्यों और संस्कारों द्वारा ही खत्म किया जा सकता है। ये केवल तभी संभव है जब भारत का प्रत्येक नागरिक पहले स्वयं के व औरत के प्रति अपने विचारों में बदलाव लाये और अपने आस-पास के माहौल के प्रति भी सजग रह कर इस प्रकार के व्यक्तियों के दुस्साहस को रोकने का समर्थन करें।
पाठकों से सवाल:-
- जिस तरह भ्रूण हत्या, नशा करना बुरी बात बताया जाता है, क्या कभी लड़कों को समझाया गया है कि लड़कियों को छेड़ना बुरी बात है?
- क्या कभी ये भी समझाया गया है कि बलात्कार की शिकार महिला को कितनी तरह की मानसिक व शारीरिक परेशानियों को झेलना पड़ता है?
- क्या कभी ये भी समझाया गया है कि पीड़ित महिला के बच्चे भी मानसिक रूप से कमजोर ही होंगे जो कि देश के विकास में बाधा होंगें?
- क्या कभी लड़के और लड़कियों को सेक्स से संबंधित उपयुक्त सामग्री उपलब्ध करवाई गई है ताकि वो गलत जगह से अनुपयुक्त सामग्री ना प्राप्त करें?
- क्या कभी माता-पिता ने अपने बच्चों का दोस्त बनने की कोशिश की?
- क्या माता-पिता ने अपने बच्चों के दिल तक को छू देने वाला संवाद कायम किया?
आजकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी में लड़कियों को छेड़ना शोक मनाने और मौज मस्ती समझा जाने लगा है जब तक हर इंसान को नैतिकता का पाठ नहीं पढ़ाया जाएगा तब तक यह अनैतिक कार्य होते रहेंगे l
क्या कभी ये भी समझाया गया है कि पीड़ित महिला के बच्चे भी मानसिक रूप से कमजोर ही होंगे जो कि देश के विकास में बाधा होंगें?
पीड़ित महिला उसके बच्चे हर समय चिंतित मन में सवाल है रहते हैं और वह अराजकता वह अज्ञानता भरे समाज में जीने के मन को भी नही लिए हुए जीने की कोशिशों पर बतौर तैयार रहते हैं।लेकिन जब बात उनकी मन की सीमाओं से बाहर चली जाए तो खुद को क्रोध की स्थिति में पाकर खुद का और किसी अन्य का नुकसान कर लेते हैं।
This is one of the best comments i am reading. You have gone through the article well with a thought behind. you are right instead of respecting girls, most of the boys make fun of them. This can only be stopped when the students will raise voice against it. They should come together, they should make a mission for this issue. By the time all the girls and boys will not take the mission seriously, things will be the same.
You are right … There is no one to understand feeling of girls.. And rape is wrong please stop it
If each and every family members of India will take the responsibility of not being involved in any manner, in such a heinous crime. Then only, half of the rape could be reduced.